रक्षाबंधन 2025: राखी बांधने का शुभ मुहूर्त परंपरा और भाई-बहन के रिश्ते का अनमोल त्योहार
तारीख: 9 अगस्त 2025
श्रेणी: त्यौहार, धर्म, संस्कृति
परिचय:- रक्षाबंधन का अर्थ और
महत्व
भारत की संस्कृति में हर
त्योहार एक रिश्ते एक भावना और एक कहानी को अपने साथ लेकर आता है। रक्षाबंधन — यह सिर्फ़ एक
धागा बांधने की रस्म नहीं है, बल्कि भाई-बहन के बीच अटूट प्रेम विश्वास और सुरक्षा के वचन का प्रतीक है। जब बहन अपने भाई की कलाई पर राखी
बांधती है तो यह केवल
धागा नहीं होता बल्कि इसमें
भावनाओं आशीर्वाद और
दुआओं की लड़ी पिरोई होती है।
रक्षाबंधन का यह पवित्र त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, और भाई जीवनभर अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। समय के साथ यह त्योहार केवल भाई-बहन तक सीमित नहीं रहा अब यह दोस्ती, प्यार और भाईचारे का भी प्रतीक बन चुका है।
रक्षाबंधन 2025 की तारीख और दिन
1. तारीख: शनिवार, 9 अगस्त 20252. दिन: शनिवार
3. त्यौहार का अवसर: श्रावण पूर्णिमा
4. चंद्र स्थिति: श्रावण मास, शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा तिथि
रक्षाबंधन 2025 का शुभ मुहूर्त
1. मुख्य शुभ समय
2.कुल अवधि: 7 घंटे 37 मिनट
2. ब्रह्म मुहूर्त
2. यह समय अत्यंत पवित्र और शांत माना जाता है। जो लोग सुबह जल्दी उठने के आदी हैं, वे इस समय पूजा और 3. राखी बांधने की रस्म कर सकते हैं।
3. अभिजीत मुहूर्त
2. दिन के मध्य का यह समय किसी भी शुभ कार्य के लिए उत्तम माना जाता है।
4. राहुकाल (अशुभ समय)
2. इस समय के दौरान राखी बांधना टालना बेहतर है।
5. भद्राकाल
पंचांग विवरण (दिल्ली
समयानुसार)
तिथि |
पूर्णिमा
(श्रावण मास) |
सूर्योदय |
5:47 AM |
सूर्यास्त |
6:57 PM |
चंद्रोदय |
8:16 PM |
नक्षत्र |
श्रवण नक्षत्र |
योग |
शुभ योग |
रक्षाबंधन की पौराणिक कथाएं
भारत की पौराणिक कथाओं में रक्षाबंधन की जड़ें बहुत गहरी हैं। यहां तीन प्रमुख कहानियां हैं जो इस पर्व को और भी भावनात्मक बनाती हैं
1. कृष्ण और द्रौपदी की कहानी
महाभारत के युद्ध से पहले एक
बार श्रीकृष्ण की उंगली कट गई। तब द्रौपदी ने अपने साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी
उंगली पर बांध दिया। बदले में कृष्ण ने वचन दिया कि वे जीवनभर द्रौपदी की रक्षा
करेंगे। यही वह क्षण था जिसने रक्षाबंधन का सबसे सुंदर उदाहरण दिया।
2. इंद्र और इंद्राणी की कथा
देवताओं और असुरों के बीच
युद्ध में इंद्राणी ने इंद्र के हाथ पर एक पवित्र धागा बांधा था, जिससे
उन्हें विजय प्राप्त हुई। यह दर्शाता है कि राखी केवल भाई-बहन तक सीमित नहीं बल्कि
सुरक्षा और आशीर्वाद का प्रतीक है।
3. रानी कर्णावती और हुमायूं की कथा
मेवाड़ की रानी कर्णावती ने
अपने राज्य को बचाने के लिए मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी। हुमायूं ने इस बंधन
का सम्मान करते हुए उनकी रक्षा की।
विभिन्न राज्यों में
रक्षाबंधन की परंपराएं
1. उत्तर भारत: भाई के माथे पर तिलक, राखी, मिठाई और उपहार का आदान-प्रदान।
2. महाराष्ट्र: नारळी पूर्णिमा के साथ मछुआरे समुद्र की पूजा करते हैं।
3. पश्चिम बंगाल: ‘झूले का त्योहार’ और राखी का संयोजन।
4. दक्षिण भारत: अवनी अवित्तम और यज्ञोपवीत बदलने की रस्म।
भावनात्मक कहानी: एक बहन की
चिट्ठी
"भैया, बचपन में तुमने मुझे हर बार अपनी साइकिल पर बैठाकर स्कूल छोड़ा था, याद है? आज जब मैं राखी लेकर तुम्हारे घर आ रही हूं, तो सिर्फ़ ये कहने कि चाहे जिंदगी कितनी भी बदल जाए, ये धागा हमें हमेशा जोड़े रखेगा।"
इस तरह की भावनाएं ही
रक्षाबंधन को खास बनाती हैं।
निष्कर्ष
रक्षाबंधन 2025 का यह पर्व
न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करेगा, बल्कि यह हमें याद दिलाएगा कि रिश्तों में प्यार, विश्वास और
सुरक्षा का वचन सबसे बड़ी ताकत है। इस बार जब आप राखी बांधें, तो सिर्फ़
रस्म के तौर पर नहीं, बल्कि दिल से जुड़कर बांधें।
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